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Showing posts from October, 2025

82. प्रभु नाम की महिमा

अंतकाल में प्रभु की स्मृति हो जाए तो यह सभी साधनों का फल होता है क्योंकि प्रभु स्मृति के कारण जिसका अंत सुधर गया उसका जन्म स्वतः ही सुधर गया । सभी साधन जीवनकाल में इसलिए किए जाते हैं कि अंत समय प्रभु का स्मरण हो जाए और हम जन्म-मृत्यु के चक्र से, संसार के आवागमन के चक्र से छूटकर प्रभु के श्रीधाम पहुँच जाए । एक संत एक कथा सुनाते थे । एक सेठजी को एक बहेलिए ने एक वैष्णव के घर में पाला हुआ तोता बेचा । तोता हरदम राम-राम, गोविंद-गोविंद कहता था । सेठजी को तोते से प्रेम हो गया और उन्होंने भी अनायास तोते के सामने राम-राम गोविंद-गोविंद कहने की आदत डाल ली । ऐसा करते-करते बहुत वर्ष बीत गए । सेठजी बूढ़े हो गए । मृत्यु बेला पर सेठजी को यमदूत दिखे तो तोता उसी समय बोल पड़ा राम-राम । सेठजी ने भी कहा राम-राम और प्रभु के पार्षद तुरंत आ गए । प्रभु के पार्षद सेठजी को प्रभु के धाम लेकर चले गए । यमदूतों को खाली हाथ लौटना पड़ा । अंत बेला पर प्रभु का नाम लेने का फल यह होता है कि वह हमें प्रभु के श्रीधाम की प्राप्ति करवा देता है । इसलिए ही कहा गया है कि नाम जप निरंतर करते रहें क्योंकि कौन-सी श्‍वास हमारी आखि...