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Showing posts from November, 2022

20. हर जगह प्रभु को साथ रखें

एक आदत बना लें कि जब भी घर से निकलें तो मन में कहें कि प्रभु साथ चलें और मार्गदर्शन करें ताकि मैं कोई गलती न कर बैठूं । घर में रहें तो प्रभु की  मनोमय (मन में बनाई गई प्रभु की प्रतिमा)  प्रतिमा अपने कार्यस्थल में लगा कर रखें और बीच-बीच में कार्य करते-करते प्रभु को देखें और बात करें कि मैं सही कार्य कर रहा हूँ की नहीं । पांडवों ने प्रभु श्री कृष्णजी को सदैव अपने साथ रखा और प्रभु ने पग-पग पर उनकी रक्षा की ।   सौ कौरव मारे गए पर पांचो पांडव प्रभु कृपा से बच गए । भगवती कुंतीजी , जो पांडवों की माता थी , उन्होंने प्रभु का एहसान मानते हुए सारे प्रसंग गिनाए जब प्रभु ने साक्षात रूप से पांडवों के प्राणों की रक्षा की । इतना बड़ा युद्ध , अपने से विशाल सेना और अनेक महारथियों के होने के बाद भी प्रभु के कारण पांडवों को विजयश्री मिली , वो भी प्रभु के बिना शस्त्र उठाए । पर पांडव एक जगह प्रभु को बिना लिए और प्रभु को बिना पूछे गए और फंस गए । यह प्रसंग था जुए के न्‍योते का जो उनके ताऊजी धृतराष्ट्र ने भिजवाया था । अगर वे प्रभु से पूछते तो प्रभु मना कर देते कि नहीं जाना है । अगर पांडव दुहाई देते कि ताऊ

19. भक्ति की अदभुत मिसाल

वैसे तो भक्ति जगत में कई बड़े - बड़े भक्त हर युग में हुए हैं पर चारों युगों में प्रभु श्री हनुमानजी जैसा कोई भक्‍त न कभी हुआ है और न आगे होगा । प्रभु श्री हनुमानजी की श्रीराम भक्ति इतनी श्रेष्ठ है कि प्रभु श्री रामजी ने अपने श्रीमुख से वह अमर वचन कहा कि वे कुछ भी करके , कैसे भी प्रभु श्री हनुमानजी के ऋण से उऋण नहीं हो सकते । प्रभु श्री हनुमानजी की भक्ति की एक बड़ी मार्मिक कथा आपको सुनाते हैं । लंका युद्ध हो चुका था और प्रभु का श्री अयोध्याजी में आगमन और राजतिलक भी हो चुका था । राजतिलक वाली रात चारों भाई और बहुएं और प्रभु श्री हनुमानजी प्रभु के कक्ष में उपस्थित थे । रात्रि ज्यादा होती देख श्री शत्रुघ्नजी ने सबसे कहा कि भैया और भाभी को विश्राम की जरूरत है , इसलिए सबको चलना चाहिए और उन्हें एकांत देना चाहिए । सब प्रभु और माता को प्रणाम करके चलने लगे पर प्रभु श्री हनुमानजी प्रभु के श्रीकमलचरणों में ही बैठे रहे । तब श्री शत्रुघ्नजी ने उनसे कहा कि आपको भी चलना चाहिए और प्रभु को एकांत देना चाहिए । प्रभु श्री हनुमानजी ने भगवती सीता माता की तरफ इशारा करके कहा कि माता भी तो बैठी हैं । तो श्र