हम प्रभु की भक्ति क्यों नहीं कर पाते ? क्यों प्रभु के लिए समय नहीं निकाल पाते ? क्योंकि हम संसार के मायाजाल में फंसे हुए हैं । माया ने इस संसार में हमें इस तरह भ्रमित किया है कि हम अपने आपको पूरा फंसा हुआ पाते हैं । हमारे पास संसार करने के बाद प्रभु के लिए समय ही नहीं बचता । एक संत एक कथा सुनाते थे । एक धोबी अपने गधे पर कपड़े लादकर नदी पर कपड़े धोने पहुँचा । वह गधे को बांधने की रस्सी लाना उस दिन भूल गया था । उसने सिर्फ दिखावे के लिए गधे को रोजाना की तरह बांधा । गधा वहीं खड़ा रहा जैसे रोजाना की तरह बंधा हुआ हो । जाने का समय आया तो गधा वहाँ से हिला नहीं । तब धोबी को याद आया कि उसे दिखावे के लिए रस्सी खोलनी पड़ेगी । उसने रस्सी खोलने का नाटक किया तो गधा चल पड़ा । हम भी संसार की खूंटी से इसी तरह दिखावे में बंधे हुए हैं । हम सत्यता में बंधे नहीं हैं पर हमें भान होता है कि हम संसार से बंधे हुए हैं, ठीक उस गधे की तरह । माया ने हमें धोबी की तरह दिखावे में संसार से बांध रखा है ।
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