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Showing posts from September, 2023

40. प्रभु पर विश्वास

हम प्रभु पर पूर्ण विश्वास रखते हैं तो प्रभु इस विश्वास को पक्का निभाते हैं पर अगर हमा रे विश्वास में तनिक भी कमी है तो हम प्रभु की अनुकंपा से वंचित रह जाते हैं । एक संत लोहे की जंजीर बांधकर कुएं में लटक गए और गांव वालों से कहा कि उन्हें प्रभु का पक्का भरोसा है कि जंजीर टूटने पर प्रभु उन्हें कुएं में नीचे गिरने नहीं देंगे और अपनी बाहों में भर लेंगे । वे तीन दिन तक लटके रहे पर कुछ नहीं हुआ । तभी एक भोला भ क्त एक रस्सी लेकर यही प्रयोग पास के कुएं में करने गया । उसकी रस्सी लटकने पर टूट गई और प्रभु ने उसे अपनी बाहों में भर कर थाम लिया और कुएं में डूबने नहीं दिया । सारे गांव वालों ने यह दृश्य देखा । तभी संत ने प्रभु से पूछा कि मेरे लिए आप क्यों नहीं आए ? प्रभु ने बड़ा मार्मिक उत्तर दिया कि तुम लोहे की जंजीर के सहारे लटके और लोहे की जंजीर पर विश्वास किया, मुझ पर पूर्ण विश्वास नहीं किया । जबकि इस भोले भक्त ने मुझ पर पूर्ण विश्वास किया और पतली रस्सी जो उ सका भार नहीं संभल सकती थी उससे लटका, तब मुझे विश्वास के कारण तुरंत आना ही पड़ा ।

39. प्रार्थना और इंतजार

हम प्रभु से प्रार्थना करते हैं पर कृपा होने का इंतजार नहीं करते । हर प्रतिकूलता में हम बौ खला जाते हैं और भजन छोड़ देते हैं । क्या विपत्ति में हम भोजन छोड़ते हैं ? क्या बीमारी में हम सांस लेना छोड़ देते हैं ? पर प्रतिकूलता में हम भजन छोड़ देते हैं । यह कितनी बड़ी गलती है । एक संत एक कथा कहते थे कि एक भिखारी प्रभु का बड़ा सुंदर भजन गाकर भिक्षा मांगता था । एक दिन एक सेठ के घर गया और भजन गाने लगा । सेठानी बहुत दयालु थी और हाथ में रोटी लेकर भिक्षा देने जाने लगी पर रुक गई । काफी देर हो गई वह आगे नहीं गई तो एक नौकर ने पूछा कि आप रोटी हाथ में लेकर रुक क्यों गई ? सेठानी बोली कि रोटी तो मैं दूंगी, बस जल्दी दे दूंगी तो इतना प्यारा भजन पूरा सुन नहीं पाऊँगी क्योंकि वह भिखारी रोटी लेकर आगे चला जाएगा । इसलिए जब हम प्रार्थना करते हैं और प्रतिकूलता खत्म नहीं होती तो हमें भी सोचना चाहिए कि प्रभु को हमारी प्रार्थना प्यारी लग रही है और वे मन से उसे सुन रहे हैं । जैसे सेठानी से भिखारी को रोटी मिलना तो तय है वैसे ही प्रभु द्वारा हमारी प्रतिकूलता का निवारण तय है । जैसे भिखारी मीठा भजन गाकर प्रतीक्षा करता