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Showing posts from December, 2023

46. भक्त के बल प्रभु

भक्त के बल प्रभु होते हैं । तात्पर्य यह है कि भक्तों के संकल्प में प्रभु का बल युक्त हो जाता है । भक्त अपने बल से हार भी जाए पर प्रभु के बल से जीत जाता है । एक ब्राह्मण के घर बच्चे जन्म के बाद जीवित नहीं रहते थे । श्री अर्जुनजी से जब उस ब्राह्मण ने निवेदन किया तो श्री अर्जुनजी ने उसे वचन दिया कि अगले बच्चे को बचाने का दायित्व उनका है और अगर वे ऐसा नहीं कर पाए तो अग्नि में प्रवेश कर जाएंगे । जब बच्चे के जन्म का समय आया तो श्री अर्जुनजी, जो धनुर्विद्या में पारंगत थे, उन्होंने एक रक्षा कवच अपने बाणों से उस ब्राह्मण के घर के ऊपर बना दिया । बच्चा जन्मा और मर गया । श्री अर्जुनजी सोचते रह गए कि काल, वायु कोई भी इस कवच में प्रवेश नहीं कर सकता, फिर बच्चा कैसे मर गया ? वे अग्नि में प्रवेश की तैयारी करने लगे । तभी उनके रक्षक प्रभु श्री कृष्णजी आ गए । प्रभु ने श्री अर्जुनजी को कहा कि तुमने बच्चे को बचाने के लिए पूरा बल नहीं लगाया । श्री अर्जुनजी को सम झा ते हुए प्रभु बोले कि भक्तों का बल भगवान होते हैं । प्रभु ने श्री अर्जुनजी को कहा कि तुमने प्रतिज्ञा करने से पहले और कवच बनाने से पहले मुझे याद

45. प्रभु को रिझाना

प्रभु भाव और प्रेम से रीझ जाते हैं । प्रभु को रिझाने में प्रेम की अनिवार्यता होती है । प्रभु किसी सांसारिक पदार्थ, धन इत्यादि से नहीं रिझते । अगर हम सांसारिक पदार्थ, धन भी प्रभु को निवेदन करते हैं तो प्रभु उसके पीछे छिपे प्रेम भाव को देखते हैं । एक भक्त था जो रोज एक पुष्प प्रभु के मंदिर में पुजारीजी को प्रभु के श्रीकमलचरणों में चढ़ाने के लिए निवेदन करता था । बहुत दिनों से यह उसका नियम था । एक दिन रोजाना की तरह बाजार में पुष्प वाले के पास गया और सबसे मनमोहक पुष्प प्रभु को भाव से वहीं अर्पण कर उसकी कीमत चुकाने लगा । तभी एक सेठजी को भी वही पुष्प अपनी सेठानी के लिए पसंद आ गया । उन्होंने दोगुनी रकम देनी चाही । फूल का दुकानदार लालची था उसने कहा कि दोनों बोली लगा लो और जो जीत जाए वह रकम मुझे देकर फूल ले जाए । वह भक्त प्रभु प्रेम में दीवाना था और वह सेठजी अपनी पत्नी प्रेम में दीवाने थे । क्योंकि उस भक्त ने वह पुष्प भाव से प्रभु को वहीं अर्पण कर दिया था इसलिए प्रभु को अर्पित वस्तु वह छोड़ नहीं सकता था । बोली इतनी बड़ी हो गई कि भक्त को अपना खेत बेचने तक की नौबत आ गई । इतनी बड़ी बोली देखकर सेठज