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Showing posts from August, 2022

14. श्रीराम नाम की महिमा

सनातन धर्म में प्रभु के अगणित रूप और अगणित नाम हैं । यह सनातन धर्म का अद्वितीय गौरव है कि प्रभु कितने नाम और रूपों से इस धर्म में प्रकट हुए हैं । श्री रामचरितमानसजी में देवर्षि प्रभु श्री नारदजी ने प्रभु श्री रामजी से एक वरदान मांगा । उन्होंने मांगा कि प्रभु के सभी नामों में श्रीराम नाम का माहात्म्य सबसे विलक्षण हो । प्रभु ने ऐसा ही वरदान दिया और भारतवर्ष में प्राचीन काल से प्रभु श्री रामजी का नाम हर व्यवहार में प्रयोग में आने लग गया । कोई भी व्यक्ति दुःख में “ हे राम ” का उच्चारण करता मिलेगा । कोई पीड़ा में हो तो “ अरे राम बचाओ ” का उच्चारण करता मिलेगा । कोई लज्जा का कार्य करेगा तो कहने वाले कहेंगे कि “ हाय राम ” शर्म नहीं आई ऐसा करते हुए । कोई अशुभ घटना को देखकर हम “ अरे राम-राम ” ऐसा हो गया यह कहते हैं । किसी का अभिवादन करना है तो हम “ राम-राम ” कहते हैं । दो बार राम कहने का सीधा अर्थ है कि एक राम जो मेरे अंदर हैं और एक राम जो आपके अंदर हैं उन दोनों को प्रणाम करना और उन दोनों का अभिवादन करना । किसी को शपथ खानी हो तो आज भी “ राम दुहाई ” यानी प्रभु श्री रामजी के नाम की शपथ दिल

13. प्रभु भक्त की महिमा

प्रभु की भक्ति हमारा कितना उत्थान करवाती है और प्रभु का जन बन जाने से जगत में कितना मान मिलता है इसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते । प्रभु स्वयं अपने भक्‍त का मान बढ़ाने के लिए कई चमत्कार करते हैं जिससे उनके प्रिय भक्‍त की कीर्ति चारों दिशाओं में फैल जाए । इससे प्रभु को जो सुख मिलता है उतना सुख प्रभु को अन्‍य किसी चीज से नहीं मिलता । एक राज्य में राजा के यहाँ एक मंत्री कार्य करता था जो कि भक्त था । वह रोज राज्यसभा में नीचे अपने स्थान पर खड़ा होकर ऊपर राजसिंहासन पर बैठे राजा के सामने हाथ जोड़कर खड़ा रहता था । एक दिन उसे यह भाव आया कि हाथ जोड़ना ही है तो प्रभु के जोड़ने चाहिए और उसने राजा को अपना इस्तीफा दे दिया । भक्त तो वह पहले से था ही अब वह जंगल में जाकर कुटिया में रहकर प्रभु की भक्ति करने लगा । प्रभु दिखाना चाहते थे कि उनसे जुड़ने पर क्या होता है । वह मंत्री एक संत के रूप में बहुत सिद्धियां प्राप्त कर ख्याति को प्राप्त हुआ । एक बार उस राजा के राज्य में अकाल पड़ा । दो-तीन वर्षों तक वर्षा ही नहीं हुई । किसी ने कहा कि किसी बड़े संत से अनुष्ठान कराना चाहिए । उस समय मंत्री के रूप में जो प