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Showing posts from May, 2022

08. प्रभु के श्रीकमलचरण

भक्तों को प्रभु के श्रीकमलचरण बहुत प्रिय होते हैं । वे अपना स्थान और अधिकार प्रभु के श्रीकमलचरणों में मानते हैं । वे सदा प्रभु के श्रीकमलचरणों की छत्रछाया में रहना चाहते हैं । प्रभु के श्रीकमलचरणों में रहने से वे निश्चिंत और अभय रहते हैं । प्रभु के श्रीकमलचरणों का सानिध्य हर भक्ति करने वाले भक्तों ने चाहा है और पाया है । इसका सबसे बड़ा उदाहरण स्वयं प्रभु श्री हनुमानजी हैं । जब लंका पर प्रभु ने विजय प्राप्त की और वनवास काल पूर्ण करके श्री अयोध्याजी लौटे तो प्रभु के साथ प्रभु श्री हनुमानजी , श्री सुग्रीवजी , श्री जाम्बवन्तजी , श्री अंगदजी , श्री विभीषणजी और अन्य बहुत सारे प्रमुख वानर वीर श्री अयोध्याजी प्रभु के राज्याभिषेक में शामिल होने के लिए आए । प्रभु का राज्याभिषेक हुआ । कुछ दिन तक सभी प्रभु की सेवा में रुके फिर प्रभु ने सबको आशीर्वाद , भेंट और आदर - सम्मान देकर विदा किया । पर जब प्रभु श्री हनुमानजी की बारी आई तो उन्होंने कहा कि वे प्रभु की सेवा में श्री अयोध्याजी में ही रहना चाहते हैं । प्रभु श्री रामजी और भगवती सीता माता भी मन से यही चाहते थे तो उन्होंने प्रभु श्री

07. सौभाग्य और दुर्भाग्य

जीवन में सौभाग्य को भी हम भोगते हैं और दुर्भाग्य को भी हम भोगते हैं । ऐसा क्‍यों होता है कि जीवन में सौभाग्य टिकता नहीं और दुर्भाग्य हमारा पीछा छोड़ता नहीं । सिद्धांत के तौर पर एक बात अगर हम स्वीकार करेंगे तो इसका उत्तर हमें मिल जाएगा । फिर जीवन में सौभाग्य हमारे साथ सदा स्थिर रहेगा और दुर्भाग्य हमारे जीवन में आने की हिम्मत भी नहीं करेगा । सिद्धांत यह है कि प्रभु जिसके जीवन में हैं वहीं सौभाग्य स्थिर है और प्रभु जिसके जीवन में नहीं है वहाँ दुर्भाग्य आकर स्थिर हो जाता है । इसका पौराणिक उदाहरण देखें तो यह तथ्य समझ में आएगा । प्रभु श्री रामजी को जब वनवास मिला और वे श्री अयोध्याजी को छोड़कर वन में गए तो श्री अयोध्याजी में दुर्भाग्य की होड़ लग गई । महाराज श्री दशरथजी का परलोक गमन हुआ । श्री भरतलालजी जब अपने गुरुजी के बुलावे पर अपने ननिहाल से श्री अयोध्याजी आए तो उन्‍हें श्री अयोध्याजी में भयंकर अपशगुन मिले और वह विरान और दुर्भाग्यग्रस्त जान पड़ी । फिर जब प्रभु श्री रामजी वनवास काल पूर्ण कर वापस श्री अयोध्याजी आए और उनका राजसिंहासन पर राज्याभिषेक हुआ तो श्री अयोध्याजी में सौभाग्य की होड़