Skip to main content

Posts

Showing posts from March, 2024

52. स्वर्णिम अवसर

हम भजन और भक्ति को बुढ़ापे के लिए छोड़ देते हैं और बचपन खेल में, जवानी धन कमाने में व्यतीत कर देते हैं और बड़ी चूक कर देते हैं । बुढ़ापे में शरीर भजन के लिए सहयोग नहीं देता, रोगग्रस्त हो जाता है और हम जीवन मुक्त होने का स्वर्णिम अवसर चूक जाते हैं । एक किसान एक पहुँचे हुए संत का शिष्य था । उसे अभिलाषा थी कि वह बहुत धनवान बने । उस की गुरु सेवा से संत अति प्रसन्न थे । किसान ने एक दिन अवसर देखकर अपने धनवान बनने की बात संत को कह दी । संत ने अपने तपोबल से एक साधारण मणि को अभिमंत्रित करके पारस-मणि बना दी और किसान को देते हुए एक हफ्ते का समय दिया । संत ने कहा कि आज सोमवार है, अगले सोमवार सुबह में आऊंगा और मणि ले लूंगा । तब तक जितने लोहे को तुम इस मणि से छुआ दोगे वह स्वर्ण बन जाएगा और तुम धनवान बन जाओगे । किसान ने अपने खेत बेच दिया और प्राप्त रकम से जगह-जगह से लोहा इकट्ठा करने लगा । उसने सोचा कि जितना लोहा इकट्ठा कर सकता हूँ छह दिन में कर लूं फिर एक साथ मणि के द्वारा सबको स्वर्ण बना लूंगा । लोहा इकट्ठा करते-करते लालच के कारण समय का भान नहीं रहा और सातवें दिन संत आ गए । उसने बहुत मिन्नत करी क

51. प्रभु से मांग

हम प्रभु से क्या मांगते हैं यह महत्वपूर्ण है । साधारण तौर पर लोग प्रभु से संसार के सुख, पुत्र, पौत्र, आरोग्य, धन, संपत्ति मांगते हैं । पर जिसका सत्संग के कारण विवेक जागृत हो गया है वह प्रभु से प्रभु के धाम जाने की मांग करता है और वहाँ प्रभु की सेवा मांगता है । एक राजा का जन्मदिन था इसलिए वह राज्य के कारागार में गया और सभी कैदियों से कहा कि जो चाहे मांग लो । एक कैदी बोला महीने भर के लिए एक साबुन नहाने के लिए मिलती है उसे दो करवा दें । दूसरे कैदी ने कहा कि ठंड में कंबल मोटी और बढ़िया मिल जाए । तीसरे ने कहा कि कारागार की जिस कोठरी में मुझे रखा है वह गं दी है उसका रंग रोगन कर दिया जाए । राजा ने खुशी-खुशी सब करने का आदेश दे दिया । इस तरह सब कैदी अपनी मांग रखते गए और प्रसन्न मुद्रा में राजा सबकी स्वीकृति देता रहा । एक अंतिम कैदी बचा, वह बहुत समझदार था । उसकी बारी आई तो उसने मांगा कि कारागार से मुक्त कर उसे राज दरबार की सेवा में ले लिया जाए । राजा अति प्रसन्न हुआ और उसे मुक्त करके अपने राज दरबार की सेवा में ले लिया । फिर राजा को अन्य कैदियों ने कहा कि हमें भी मुक्त करवा दें । राजा ने कहा क